सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

jl bi ch min pyasi


कबी र दास जी पहले भक्त और कवि बाद में है /उन्हें अन्पडकवि भी खा जाता है /वे न तो की सी वि श्वविद्या लयके स्नातक थे उर नही की सी छो टे बड़े विद्यालय के शिक्षार्थीरहे वे आध्यात्म व्र र रह्श्य के ज्ञाता थे /अब हममे तो ऐसीतीव्र बुद्धि नही है किउनकी कहनी को समझ सके जल बिन मीनप्यासी अर्थ अ भी तक नही झ सके थे /किन्तु आज एका एक दिमाँ ग कि बत्ती जल गईऔउर उसकी राख में प्यासी 
मी न कारहस्य प्रकट हो गया हु वायु किनदी बहती थी बहती रहती  थी कभी पोषमास कीमोरी जसी र कभी नव यो वना की वय
जैसी /त तिय निवासियोकी अपसरत पर दू षन सामग्री यो को प्रवाहित करने के अलावा की नारों के खे तो से ले क्र र द्र्स्थ खेतो तक 
सी  चाईभी  करती थी /पहाड़ी यो वादियों में चट्टानों की छाती पर नृत्य करती इठलाती बल खाती हिरनी जसी चालसे पिय मिलन 
को जाती सरिता को बिच में ही अवरोधित कर बंधन में बाँध दिया ऐसा लगा जैसे सरिता का सागर से यग यग से नाता न ही हो 
वहकी सी स्वे छाचारी नि की भा तिगन्धर्व विवा ह करने जा रही थी बंधन के कारण वह तो वहीरु खी रही किन तू वंचित रह गये 
सकी वास सुवास से वो सब जो उसके दो नो और स्वग्तातुर हो कर खड़े थे  
            बांधो ने जल संग्रहन तो कर नदियों के अ जर्षप्रवाह से वंचित मछलिया छोटे छोटे गद्दो  डबरो में अपने अंत  का 
प्रारम्भ देखनेको विवश होगयी जो मछलिया नीर अघाधा सुखी थी वही अब सूखी सृरी ता में तड़फती है /म्रत्यु दंड पाए को 
क्या भूक आर क्या प्यास /इसी लिए कहाजल बी च मीन प्यासी  *********बांधके निचे की और के ततो पर से उद्वहन द्वारा 
कृषि करने वाले किसानो की यही स्थिति ऐसी हों रही है /कुछ ही  दुरी पर अघाद जल राशी होते हुए भी उनकी फसले सक रही है /
प्यासी फसल को पानी नही मिल र हा है /
इस स्थिति को देखते हुए याद आ गयी एक एक बी हट पुरानी कहानी//कहानी का नायक राजा अपने से पूर्व में बहने वाली 
नदी का पानी रोक लेता है ताकि पूर्व दिशा के लोगो को पानी नही मिलेगा तोवे पानी के लिए उस के प्रति समर्पित हों जायेंगे 
बाँध में रूखे पानी का वि स्टार उसके ही श हर में होने लगा /राजा मुर्ख  था या ज्ञानी  ख नही सकते /हां यह तो नि सहित है 
की उसने डूब में आने वालो को कोई मु वाजा तो नही दिया था /यदि राजाको पानी छोड़ने का कहते तो च मानने वाला नही था 
अतउसके मंत्री ने रातमें प्रति घंटे पर बजने वाली गजर को आधे आधे घंटे में बजवा कर आधी रात को ही सुरोदय का समय 
मानकर राजा से कहा की महराज सुभ हों चुकी है किन्तु अभी तक सूर्य के ददर्श न नही हुए  पूर्व के लोगोने सूर्य को 
बाँध लिया है उन्हें जबतक पानी न ही मिलेगा तब  तक वे सूर्य को मुक्त नही करेंगे जबतक उन्हें पानी नही मिलता और 
राजा ने पानी छोड़ने का देश दे  दिया 
                अगर किसानो को कोई ऐसा मंत्री मिल जाए तो उनकी मुरझाती फसल को बचा सके 

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