रविवार, 18 सितंबर 2011

NASINGH KI KATHAA

नरसिंह को ऐसा लगा कि उसका सर चकरा रहा है वह धडाम से जमीं पर गिर गया /उसने संक्षेप में 
         नागिन के श्राफ कि घटना बताई आर उसके प्रंह निकल गए /यह देख कर हाहाकार मच गया 
भाई  कि बारात के स्थान पर  बड़े भाई कि अर्थी निकलने का दुखद अवसर उपस्थित होगया /
यह सताती देख तेजल नारने लोगों को धेर्य धरने का कहा /उसने सब के सामने घोषणा की कियदि 
मेरी साड़ीमें  सत      हो तो मेरा      पति जीवित हो जाये /तेजल के इतना कहते ही नरसिंह  उठ 
बैठा जैसे गहरी नींद से जगा हो /इस प्रकार तेजल नेअपने  सत के प्रभाव से  म्र्रत पति को प्राप्त 
किया  
शेष जीवन आनंद मंगल से बिताया 

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